*डायरी की दास्तान* भूतिया स्टोरी
**डायरी की दास्तान**
गांव के कोने पर स्थित एक पुरानी, जर्जर हवेली में कोई नहीं रहता था। लोग कहते थे कि वहां कुछ अनहोनी छुपी हुई है। पर सुरेश, जो हमेशा रहस्यों की गहराई में जाने का शौकीन था, ने उस हवेली में कदम रखने का फैसला किया।
एक शाम सुरेश हवेली में दाखिल हुआ। वहां का माहौल भारी और अजीब था। पुराने फर्नीचर पर धूल की मोटी परत जमी हुई थी, और हवा में अजीब सी गंध थी। तभी उसकी नजर एक टेबल पर रखी एक डायरी पर पड़ी। डायरी बहुत पुरानी थी, मानो वर्षों से किसी ने उसे छुआ ही न हो।
डायरी का पहला पन्ना खोलते ही सुरेश को लगा जैसे किसी ने उसके कान में फुसफुसाया हो। लिखा था:
*"अगर यह डायरी तुम्हारे हाथ में है, तो तुमने मौत का दरवाजा खोल दिया है।"*
सुरेश ने इसे मजाक समझकर पढ़ना शुरू कर दिया। डायरी में किसी लड़की, राधा, की कहानी लिखी थी, जो उस हवेली में रहती थी। राधा का जिक्र करते हुए लिखा था कि उसकी मौत बहुत रहस्यमयी तरीके से हुई थी।
हर पन्ना पढ़ने के साथ सुरेश को अजीब-अजीब चीजें महसूस होने लगीं। कभी उसे अपने पीछे किसी के चलने की आहट सुनाई देती, कभी हवेली की दीवारों पर परछाइयां दिखतीं। डायरी में लिखा था:
*"राधा को मारने वालों ने उसकी आत्मा को चैन से सोने नहीं दिया। हर पूर्णिमा की रात वह लौटती है, और जिसने भी उसकी डायरी को छुआ, वह उसके क्रोध का शिकार हुआ।"*
सुरेश अब डरने लगा था। उसने डायरी बंद की और वहां से भागने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा जैसे खुद-ब-खुद बंद हो गया। हवेली के कमरे में ठंड बढ़ने लगी और राधा की तस्वीर दीवार से गिरकर फर्श पर टूट गई।
तभी एक धीमी, मगर गहरी आवाज गूंजने लगी:
*"तुमने मेरी डायरी क्यों खोली?"*
सुरेश ने कांपते हुए माफी मांगी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। हवेली के हर कोने से परछाइयां बाहर निकलने लगीं। उसकी आंखों के सामने डायरी के पन्ने हवा में उड़ने लगे, और उनमें से एक चेहरा उभर आया—राधा का।
सुरेश की चीखें पूरी हवेली में गूंज उठीं। अगली सुबह गांव वालों ने सुरेश का शरीर हवेली के सामने पाया। उसकी आंखें डर से खुली हुई थीं, और हाथ में वही डायरी थी।
अब गांव के लोग कहते हैं कि जिसने भी उस डायरी को पढ़ा, उसकी मौत निश्चित है। हवेली आज भी सुनसान है, और डायरी अब भी वहां पड़ी है, इंतजार कर रही है... अपने अगले शिकार का।
**समाप्त।**
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