डरावनी महिला का सवाल

              




यह एक खौफनाक रात की हॉरर स्टोरी है।

एक रात, एक गहरे जंगल में एक छोटी सी गांव में एक युवक ने एक बहुत ही पुरानी और डरावनी हवेली में रुकने का फैसला किया। जब वह हवेली में पहुंचा, तो वह देखा कि वहां अत्यंत बंदिशें और ताले लगे हुए थे। इसके बावजूद, उसने आगे बढ़ते हुए एक भूत कहानी सुनी थी, इसलिए उसे डरने की बजाय उत्साह बढ़ाने का मन हुआ। वह उसी रात वहां रुक गया।

रात को धीरे-धीरे काली घटाएं छानने लगीं और अचानक वह बड़े आवाज की गतिशीलता सुना। वह दरवाजे की ओर बढ़ा, जहां से ध्वनि आ रही थी। धीरे-धीरे दरवाजा खुल गया और वह देखा कि वहां एक विचित्र और डरावनी महिला खड़ी है। उसका चेहरा रक्त-लाल था, उसकी आंखें आग जैसी जल रही थीं और उसके बाल उसकी पूरी आदि में बिखरे हुए थे।

युवक ने अपना होश बही खो दिया और डर से काँपने लगा। वह महिला अभिभाषण करती हुई बोली, "तुम्हारी सहायता चाहिए। मेरी आत्मा इस हवेली में फंसी हुई है और उसको शांति नहीं मिली है। कृपया मेरी मदद करो।"

युवक ने डर से त्रस्त होते हुए अपनी सहमी आवाज में कहा, "मैं आपकी मदद करने के लिए तैयार हूँ। क्या मैं आपकी सहायता के लिए इस कमरे में जा सकता हूँ?"

महिला ने अपना सिर उठाया और एक अजीब तरह से हँसते हुए कहा, "जरूर, तुम मेरे पीछे आइए।" युवक ने उसके पीछे चलना शुरू कर दिया।

जब वह उसके पीछे पहुंचा, तो महिला अचानक बदलकर विकट रूप ले ली। उसके शरीर के टुकड़े बिखर गए और वह शरीर को डरावने आवाज़ में कहीं कीचड़ और गंदगी भरी हुई थी।

युवक ने चिल्लाकर भागने की कोशिश की, लेकिन वह अपनी जगह से हिल नहीं सका। वह महिला बदलती रही और उसकी हंसी और चीखें लगातार बढ़ गईं।

बहुत ही डरावनी स्थिति में, युवक ने भगवान को याद करते हुए एक पवित्र बीज मंत्र बोला और अचानक ही सब कुछ ठीक हो गया। महिला और हवेली एक ही दृश्य में गायब हो गईं।

युवक को डर की अनुभूति हुई, लेकिन उसने इस अनुभव से सीखा कि डर से नहीं बल्कि विश्वास से परास्त होता है। वह हवेली से बाहर निकल गया और कभी भी उस जगह पर वापस नहीं जाने का फैसला किया।


           Khof ki raat horrer story



एक  आदमी था जिसका नाम विक्रम था। वह अकेले रहने वाला आदमी था और एक अनोखे हवेली में रहता था। हवेली भयानक और डरावनी आवाजों से भरी हुई थी।

एक रात, जब विक्रम अपने कमरे में सो रहा था, वह एक खोफनाक आवाज सुना। यह अजनबी आवाज हवेली के बाहर से आ रही थी। विक्रम ने धीरे से उठकर देखा और देखा कि बाहर कोई नहीं था। उसने सोचा कि यह सिर्फ उसकी भ्रमिति हो सकती है और वापस सो गया।

फिर से एक आवाज आई, और यह बार बार बढ़ रही थी। विक्रम बेहोशी के करीब था कि उसने कुछ और अजनबी आवाजें सुनीं। वह तेजी से उठा और देखा कि वहां कुछ नहीं है। फिर भी, उसे लगा कि वहां कुछ गलत है। विक्रम ने हवेली की दौड़ते हुए दीवारों की ओर ध्यान दिया।

उसने एक छिपी हुई गुप्त दरवाजा देखा, जिसके पीछे एक गुप्त रस्सी बांधी गई थी। उसे याद आया कि यह दरवाजा उसके रहने वाले कमरे में जाता है, जिसे वह अब तक नहीं खोलता था। उसे एक अजनबी शक्ति की ओर इशारा कर रही थी।

विक्रम ने धैर्य संग्रह किया और दरवाजे को खोला। जैसे ही वह दरवाजे को खोला, वहां दौड़ते हुए एक भूत निकला। भूत का चेहरा डरावना था और उसने विक्रम को अभिशाप देने की धमकी दी।

विक्रम ने अपनी होशियारी और साहस का प्रदर्शन करते हुए भूत को संभाल लिया। वह जानने के लिए पूछा कि क्यों वह उसे अभिशाप दे रहा है। भूत ने कहा कि यह हवेली उसकी पुरानी मकान थी और वह अब तक इसमें फंसा हुआ है। वह चाहता था कि विक्रम उसकी मदद करे और उसे इस भयानक स्थान से मुक्त करे।

विक्रम ने भूत की समस्या को समझा और उसकी मदद करने का वादा किया। वे साथ मिलकर एक प्राचीन पुस्तक के रहस्यमय तांत्रिक मंत्रों का उपयोग करके भूत को मुक्त करने का प्रयास करने लगे।

वे कठिनाइयों का सामना करते हुए आगे बढ़े और धीरे-धीरे वे भूत को अपनी समग्रता में बंधने में सफल हुए। भूत को उसकी मुक्ति मिली और वह विक्रम की आभारी था।

जब भूत चला गया, तो विक्रम को खुशी हुई कि वह अब अकेले रहने वाले नहीं थे। हवेली में अब एक आत्मीयता थी और उसका आत्मविश्वास बढ़ गया। वह खुशी के साथ एक नयी जीवन शुरू करने के लिए तैयार हुआ।

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