भूतिया रात की रानी

 





एक रात, गहरी अंधकार में एक बंगले के सामने रात की रानी की खुशबू से भरी महक महसूस होती है। बंगला एक पुराना हैवेली था, जिसमें बड़ी संख्या में रहनेवाले हाल ही के व्यक्ति जानवर और पक्षियों की भीड़ होती थी। यहां रहने वाले लोग कहते थे कि रात को अजीब चीजें होती हैं और रात की रानी के अस्तित्व को वे मानते थे।

बंगले के अंदर के कमरे में एक तरबूज रंग की रौशनी के नीचे जल रहा था। यह अजीब रौशनी बड़े भयानक और रहस्यमयी लगती थी। इसे देखकर हर कोई विचलित हो जाता था, लेकिन बंगले के रहने वाले लोग इससे वाकिफ थे और इसे रात की रानी के प्रकट होने का सबूत मानते थे।

एक रात, बड़ी गर्मी के कारण, सभी लोग चौदह दिन के लिए बाहर चले गए थे। घर में केवल एक बुजुर्ग महिला और उसकी पोती दोनों ही रह गए। महिला को रात को ठीक तरह से सोने की आदत नहीं थी और उसी समय वह अपने पोती को भी नहीं सोने देती थी। उस रात, बुजुर्ग महिला अपने पोती को रात की रानी की वारदात से डराने के लिए उससे कहती हैं।



"बेटा, रात को सब सो जाते हैं, लेकिन रात की रानी सिर्फ उस घर में आती है, जिसमें एक व्यक्ति अकेला होता है। वह उस व्यक्ति को देखकर उसकी रूह छीन लेती है।"

पोती डरी हुई आंखों से दादी को देखती है और पूछती है, "दादीमा, रात की रानी सच में होती हैं क्या?"

दादी महिला को धीरे से हँसती हैं और कहती हैं, "नहीं बेटा, रात की रानी सिर्फ कहानियों में होती हैं। वास्तविकता में, ऐसी कोई चीज नहीं है।"

पोती को राहत मिलती है, और वह सो जाती है। दादी भी अपने कमरे में सो जाती हैं, लेकिन उनकी नींद अस्थिर रहती है। उन्हें आँखें नहीं लग रहीं होती हैं, जैसे कोई उनको देख रहा हो।

तभी रात के एक बेहद गहरे सयाही भरे अंधकार में, उनके सामने कुछ छायाएँ दिखाई देती हैं। छायाओं के बीच से उसकी आंखें लाल रंग की चमक से भरी हुई होती हैं। दादी के दिल की धड़कन तेज हो जाती है। वे चिल्लाती हुई प्रतीत होती हैं, लेकिन उनके गले से आवाज नहीं निकलती।

बंगले के अंदर भयंकर चीखें सुनाई देने लगती हैं, और फिर से सब चीजें शांत हो जाती हैं। दादी को वह अजीब रौशनी लगती हैं, जो बंगले के कमरे में रोशनी देती थी, लेकिन यह अब दरवाजे के बाहर खड़े एक व्यक्ति की रौशनी से मिल रही होती हैं।

उस व्यक्ति के साथ दादी के रात्रि में अचानक मिलने वाली रौनक से उन्हें समझ आ जाता हैं कि वह अकेली नहीं हैं। बज़ुर्ग महिला राहत के सांस लेती हैं और अपनी पोती को गोद में ले जाती हैं। वे आंखें बंद करती हैं और धीरे से कहती हैं, "बेटा, रात की रानी का सच्चा अस्तित्व हमारे मन में होता हैं। हमारे भय से उत्पन्न होती हैं। हम अपने भयों का सामना करके उन्हें पार कर सकते हैं।"

इस रौशनी के तहत, दादी और उसकी पोती समझती हैं कि रात की रानी वास्तविकता में नहीं हैं, बल्कि वे उनके अंदर के भय के कारण उभरती हैं। उन्होंने एक-दूसरे का हाथ पकड़ रखा होता हैं, जिससे उन्हें विश्वास होता हैं कि वे एक-दूसरे के साथ हैं।

इससे रात के अंदर उत्पन्न भय का सामना करने में दोनों को सफलता मिलती हैं और वे एक दूसरे के साथ सुकून से सो जाते हैं। इस रात की रानी की डरावनी कहानी से उन्हें सिख मिलती हैं कि भय का सामना करने से ही हम अपने अंदर की शक्ति को जान सकते हैं।

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