भूत आया

 

                      




जब रात का समय आता था, और बिल्कुल अंधेरा हो जाता था, तो हम सभी दोस्त बैठकर हॉरर स्टोरी सुनने के शौकीन बन जाते थे। वो सभी कहानियाँ थी जिनके किस्से और डरावने वाक्य बचपन में हमें डरा देते थे।


यह कहानी एक छोटे से गाँव के एक पुराने हवेली की है, जिसका नाम बाबूराम हवेली था। इस हवेली की डरावनी कहानी आज भी गाँव के लोगों के बीच गूंथी जाती है।


एक दिन, गाँव का एक युवक नामक अर्जुन उस हवेली के पास जा रहा था। वह कहानियों का शौकीन था और सब लोग उसे बाबूराम हवेली की कहानियों से डराने के लिए चिढ़ाते थे। अर्जुन ने तय किया कि वह वहाँ जाकर एक रात बिताएगा और सबको यकीन दिलाएगा कि वो कहानियों से डरने वाला नहीं है।


वो रात के समय हवेली की ओर बढ़ता गया और अंधेरे में वह वहाँ पहुंच गया। हवेली का माहौल डरावना था, और सुनसान छायादार कमरों की चीखें सुनाई देने लगीं।


अर्जुन ने सोचा कि यह सब सिर्फ कहानियों का हिस्सा हो सकता है, और वह एक नींद का निवास ढूंढ लेगा। वह एक कमरे में चला गया और अपनी बिस्तर पर बैठ गया।




लेकिन तब वह सुना कि कुछ अजीब आवाजें आ रही हैं। बर्फ की किरनों के आवाज, क़दमों की थपकें, और कुछ अजीब चीखें। अर्जुन का दिल धड़कने लगा और वह विचलित हो गया।


एक दक्षिणी दीवार के पास एक छिद्र था, जिसमें अर्जुन ने अपनी परीक्षण देखने का निशान बताया था। वह वहीं से देखने लगा कि वह छिद्र किसकी ओर जाता है।


जब छिद्र खुला, तो वह देखा कि वहाँ एक साया खड़ा है, जो उसके बिलकुल सामने खड़ा है। साया उसकी ओर बढ़ रहा है और वह छिद्र से बाहर निकल रहा है।


अर्जुन ने अपनी डर को नकारते हुए साया की ओर बढ़ते हुए देखा कि वह साया उसकी खाली जगह पर खड़ा हो गया है। वह अपने आपको देख नहीं सका और उसका दिल और भी तेज़ धड़कने लगा।


इसके बाद, उसने उस हवेली से निकल कर घर वापस जाने का फैसला किया, और वह कभी भी वहाँ वापस नहीं गया।


यह कहानी बताती है कि कभी-कभी हमारे डर और विचलन हमें बड़े चौकने में डाल सकते हैं, और कहानियों का आसरा हम पर असर डाल सकता है। बाबूराम हवेली की एक छोटी सी डरावनी कहानी ही इसका एक उदाहरण है।

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