डायन से शादी
रमेश एक छोटे गाँव में रहता था, जहाँ अंधविश्वास और डरावनी कहानियाँ बहुत मशहूर थीं। एक दिन, उसने गाँव के किनारे एक अजीब सी औरत को देखा। उसकी आँखें गहरी और चमकदार थीं, और उसके बाल लम्बे और उलझे हुए थे। गाँव में लोग कहते थे कि वो औरत एक डायन है।
रमेश की माँ हमेशा उसे चेतावनी देती थीं कि उस औरत से दूर रहो, लेकिन रमेश को उसकी ओर आकर्षण महसूस होने लगा। एक रात, जब चाँद पूरा था, रमेश ने हिम्मत जुटाई और उस औरत से मिलने चला गया।
वो औरत उसे देखते ही मुस्कराई और रमेश को अपने पास बुलाया। रमेश ने उसके साथ बातें कीं और धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती हो गई। लेकिन, रमेश को यह नहीं पता था कि उस औरत का असली मकसद क्या है।
कुछ महीनों बाद, रमेश ने अपने परिवार के खिलाफ जाकर उस औरत से शादी कर ली। शादी के बाद, रमेश को अजीब-अजीब अनुभव होने लगे। रात में उसे भयानक सपने आने लगे और उसकी तबीयत भी बिगड़ने लगी।
एक रात, रमेश ने अपनी पत्नी को अजीब तरीके से एक ताबीज में कुछ बुदबुदाते हुए देखा। जब रमेश ने उसे रोका और पूछा कि वो क्या कर रही है, तो उसकी पत्नी ने अपनी असली पहचान जाहिर कर दी। वो वास्तव में एक डायन थी और उसने रमेश से शादी सिर्फ इसलिए की थी ताकि वो उसकी आत्मा को अपने काले जादू में कैद कर सके।
डायन ने रमेश को अपने जादू से जकड़ लिया और उसे मरने के कगार पर पहुँचा दिया। लेकिन रमेश ने आखिरी हिम्मत जुटाई और गाँव के पुजारी को बुलाया। पुजारी ने अपनी मंत्रों और तंत्रों से उस डायन को रोका और रमेश को बचा लिया।
हालांकि, रमेश ने अपनी जान तो बचा ली, लेकिन उसकी आत्मा पर डायन का असर हमेशा के लिए रह गया। और तब से गाँव में यह कहानी मशहूर हो गई कि डायन से शादी करने का अंजाम कितना भयानक हो सकता है।
रमेश के बचने के बाद, गाँव वालों ने उस डायन को गाँव से बाहर निकाल दिया। लेकिन डायन जाते-जाते श्राप देकर गई कि वो वापस आएगी और रमेश और उसके परिवार को कभी चैन से नहीं रहने देगी।
रमेश धीरे-धीरे अपनी सामान्य जिंदगी में लौटने की कोशिश करने लगा। लेकिन उसे अक्सर रात में डरावने सपने आते और ऐसा महसूस होता जैसे कोई उसकी निगरानी कर रहा हो। उसके स्वास्थ्य में भी कोई सुधार नहीं हो रहा था।
एक दिन, रमेश की माँ ने गाँव के एक पुराने तांत्रिक से मिलने का फैसला किया। वो तांत्रिक गाँव से बहुत दूर जंगल के भीतर रहता था। माँ ने रमेश को साथ लिया और दोनों तांत्रिक के पास पहुंचे। तांत्रिक ने रमेश को देखते ही उसकी हालत समझ ली और कहा, "तुम पर एक बहुत ही शक्तिशाली डायन का श्राप है। इसे हटाना बहुत मुश्किल होगा, लेकिन असंभव नहीं।"
तांत्रिक ने रमेश को तीन रातें जंगल में बिताने के लिए कहा। उसने कहा कि उन तीन रातों में रमेश को बहुत सारे कठिन परीक्षाओं से गुजरना होगा और हर परीक्षा में उसे अपने डर और कमजोरी का सामना करना पड़ेगा।
पहली रात, रमेश को एक भूतिया वृक्ष के पास बैठने के लिए कहा गया, जहाँ उसे अजीब-अजीब आवाजें सुनाई दीं और डरावनी आकृतियाँ दिखाईं दीं। लेकिन रमेश ने अपनी हिम्मत बनाए रखी और पूरी रात वहाँ बैठा रहा।
दूसरी रात, तांत्रिक ने रमेश को एक जलते हुए अग्निकुंड के पास बैठने के लिए कहा। उस अग्निकुंड से निकलती लपटें बहुत डरावनी और गर्म थीं, लेकिन रमेश ने अपनी हिम्मत को टूटने नहीं दिया और वहां से भी सफलतापूर्वक निकल गया।
तीसरी और आखिरी रात, तांत्रिक ने रमेश को एक पुराने मंदिर के भीतर जाकर ध्यान लगाने के लिए कहा। उस मंदिर में बहुत सारे पुराने श्रापित आत्माएं कैद थीं। रमेश ने अपनी पूरी आत्मशक्ति और विश्वास के साथ वहां ध्यान लगाया और आखिरकार, उसने अपनी आत्मा को पूरी तरह से शुद्ध कर लिया।
तीन रातों के बाद, तांत्रिक ने रमेश को आशीर्वाद दिया और कहा कि अब वो डायन का श्राप पूरी तरह से खत्म हो गया है। रमेश और उसकी माँ खुशी-खुशी गाँव लौट आए।
गाँव वालों ने भी रमेश का स्वागत किया और तांत्रिक के गुण गाए। उस घटना के बाद, रमेश की जिंदगी फिर से सामान्य हो गई। उसने अपनी गलती से सीखा और भविष्य में कभी भी अंधविश्वास और अज्ञात ताकतों से दूर रहने का संकल्प लिया।
गाँव में अब भी वो कहानी सुनाई जाती है, लेकिन अब लोग इसे एक चेतावनी के रूप में देखते हैं, ताकि कोई भी अंधविश्वास के जाल में फंसकर अपनी जिंदगी खतरे में न डाले।
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