यक्षणी से प्यार

 बद्रीपुर गांव के पास एक छोटा सा जंगल था जिसे लोग यक्षणी का जंगल कहते थे। गांव के बुजुर्ग कहते थे कि इस जंगल में एक खूबसूरत यक्षणी रहती है जो रात के समय आती है और उसकी सुन्दरता देखने वालों को वह कभी वापस नहीं आने देती।




एक दिन, गांव का एक नौजवान लड़का, राघव, अपनी बहादुरी दिखाने के लिए रात में जंगल में जाने का फैसला करता है। दोस्तों ने उसे रोका, लेकिन वह नहीं माना। रात के अंधेरे में, वह अकेला जंगल में चला गया।


जंगल के अंदर, वह कुछ दूर चला था कि उसे एक मधुर आवाज सुनाई दी। उसने देखा, एक पेड़ के नीचे एक अद्भुत सुन्दर लड़की बैठी थी। उसकी आँखें चमक रही थीं, और वह इतनी खूबसूरत थी कि राघव की नजरें उससे हट नहीं रही थीं। वह धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ा।


लड़की ने मुस्कराते हुए राघव से पूछा, "तुम्हें डर नहीं लगता?"


राघव ने बहादुरी से जवाब दिया, "नहीं, मैं डरता नहीं हूं।"


लड़की ने कहा, "तुम बहुत बहादुर हो। क्या तुम मेरे साथ यहाँ रहना चाहोगे?"


राघव उसकी खूबसूरती में खो गया था और तुरंत हाँ कह दी। अचानक, लड़की ने अपना रूप बदल लिया। वह एक भयानक यक्षणी में बदल गई और राघव को पकड़ लिया। राघव की चीखें जंगल में गूंजने लगीं, लेकिन उसकी आवाज किसी ने नहीं सुनी।


अगले दिन सुबह, राघव का कोई अता-पता नहीं था। गांव के लोग उसे ढूंढ़ने जंगल में गए, लेकिन वे उसे कहीं नहीं पा सके। वह यक्षणी की जंगल में हमेशा के लिए खो गया था। गांव के लोगों ने उस दिन से उस जंगल में जाने की हिम्मत नहीं की। यक्षणी का आतंक गांव के दिलों में हमेशा के लिए बस गया।

राघव के गायब होने के बाद, बद्रीपुर गांव में हर कोई डरा हुआ था। लोग अपने बच्चों को जंगल के करीब भी नहीं जाने देते थे। लेकिन राघव का सबसे अच्छा दोस्त, अर्जुन, इस घटना से संतुष्ट नहीं था। उसे यकीन था कि राघव अभी भी जीवित है और उसने ठान लिया कि वह उसे ढूंढकर वापस लाएगा।






अर्जुन ने गांव के बुजुर्गों से यक्षणी के बारे में पूछताछ की। बुजुर्गों ने बताया कि यक्षणी एक आत्मा है जो अपनी अधूरी प्रेम कहानी के कारण इस जंगल में भटकती है। अगर कोई उसकी सुंदरता के जाल में फंस जाता है, तो वह उसे अपने साथ ले जाती है। लेकिन एक उपाय भी था - अगर कोई उसकी अधूरी प्रेम कहानी को पूरा कर सके, तो यक्षणी को मुक्ति मिल सकती है।


अर्जुन ने यक्षणी की कहानी के बारे में और जानने का निश्चय किया। उसने सुना कि गांव के पुराने मंदिर में एक प्राचीन पुस्तक है जिसमें यक्षणी की पूरी कहानी लिखी है। अर्जुन ने उस पुस्तक को खोजने का फैसला किया।


रात के समय, जब सभी लोग सो रहे थे, अर्जुन चुपके से मंदिर में गया। उसने बहुत मेहनत के बाद वह प्राचीन पुस्तक ढूंढ निकाली। उसने पढ़ा कि यक्षणी का नाम कमला था और वह इसी गांव की थी। उसकी शादी किसी और से हो रही थी, जबकि वह किसी और से प्यार करती थी। अपनी शादी के दिन ही उसने आत्महत्या कर ली थी और तभी से उसकी आत्मा यक्षणी बनकर जंगल में भटक रही थी।


अर्जुन ने सोचा कि अगर वह कमला की आत्मा को उसकी सच्ची प्रेम कहानी पूरी करने में मदद कर सके, तो वह राघव को बचा सकता है। उसने कमला के प्रेमी के वंशजों को खोजने का फैसला किया। कई दिनों की खोज के बाद, अर्जुन को पता चला कि कमला का प्रेमी राजू था और उसका एक वंशज अभी भी गांव के पास रहता है।


अर्जुन ने उस वंशज, जिसे रमेश कहते थे, से संपर्क किया और पूरी कहानी बताई। रमेश ने अर्जुन की मदद करने का वादा किया। दोनों ने मिलकर जंगल में जाने की योजना बनाई।


एक रात, अर्जुन और रमेश जंगल में गए। वे वही जगह ढूंढने लगे जहाँ राघव आखिरी बार देखा गया था। अचानक, वही मधुर आवाज फिर से सुनाई दी। यक्षणी, कमला, फिर से प्रकट हुई और उसने अर्जुन को पहचान लिया। 


कमला ने कहा, "तुम्हें यहाँ क्यों आना पड़ा? क्या तुम नहीं जानते कि मैं तुम्हें भी अपने साथ ले जा सकती हूँ?"


अर्जुन ने कहा, "मैं तुम्हारी अधूरी कहानी को पूरा करने आया हूँ, कमला। यह रमेश है, राजू का वंशज।"


कमला की आँखों में आँसू आ गए। उसने रमेश को देखा और उसकी आँखों में प्यार की झलक दिखाई दी। रमेश ने कहा, "कमला, मैं तुम्हारे प्यार की कसम खाता हूँ कि मैं तुम्हारी आत्मा को शांति दूंगा।"


कमला की आत्मा को शांति मिली और उसने राघव को छोड़ दिया। जंगल में धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो गया। अर्जुन और राघव सुरक्षित वापस लौट आए और कमला की आत्मा को मुक्ति मिल गई। 


गांव के लोग अब फिर से जंगल में जाने लगे, लेकिन उन्होंने कभी यक्षणी की कहानी को नहीं भूला। अर्जुन की बहादुरी और कमला की प्रेम कहानी ने गांव को हमेशा के लिए बदल दिया।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

*डायरी की दास्तान* भूतिया स्टोरी

काले जादू की डरावनी कहानी

*"भूलभुलिया का रहस्य"**