इमली का भूत

 गाँव में एक पुराना पेड़ था, जिसे लोग इमली का पेड़ कहते थे। इस पेड़ के बारे में कई कहानियाँ प्रचलित थीं, लेकिन सबसे डरावनी कहानी थी इमली के भूत की।




बहुत साल पहले, गाँव में एक गरीब लड़की रहती थी जिसका नाम इमली था। उसके माता-पिता बचपन में ही गुजर गए थे, और उसे गांव के लोग अपने हिसाब से काम कराते थे। उसे बहुत दुःख और अत्याचार सहना पड़ा। एक दिन, वह इस पेड़ के नीचे बैठी रो रही थी जब उसे अचानक से एक अजीब सी शक्ति महसूस हुई। कुछ ही देर बाद, उसे वहां पर मृत पाया गया।


लोगों ने कहा कि इमली की आत्मा अब इस पेड़ में बस गई है और वह अब भी न्याय की तलाश में है। रात के समय, इस पेड़ के पास जाने की हिम्मत कोई नहीं करता था, क्योंकि कई लोगों ने बताया था कि उन्होंने एक सफेद साड़ी पहने हुए लड़की को पेड़ के पास रोते हुए देखा है। कहते हैं कि वह अपनी दर्दनाक कहानी सुनाने और बदला लेने के लिए आती है।


एक रात, गाँव का एक युवक, जो इन कहानियों पर विश्वास नहीं करता था, पेड़ के पास जाकर सोने का फैसला किया। रात के अंधेरे में, उसने महसूस किया कि कोई उसके पास आकर बैठ गया है। जब उसने आँखें खोलीं, तो उसने देखा कि इमली उसके सामने खड़ी है। युवक के डर से चीख निकल गई और वह वहाँ से भाग निकला। अगले दिन वह बीमार पड़ गया और उसने सबको बताया कि इमली का भूत सच में है।


तब से, लोग इमली के पेड़ से दूर ही रहते हैं और उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। गाँव में इमली का भूत एक चेतावनी बन गया कि किसी के साथ अन्याय करना कितना भयानक परिणाम ला सकता है।


कुछ समय बीतने के बाद, गाँव में एक तांत्रिक आया। उसने सुना कि इमली की आत्मा गाँव में शांति भंग कर रही है और उसने इस आत्मा को शांत करने का निर्णय लिया। तांत्रिक ने गाँववालों से कहा कि अगर वे उसकी सहायता करेंगे तो वह इमली की आत्मा को मुक्त कर सकता है। गाँववालों ने सहमति जताई और तांत्रिक ने अपने अनुष्ठान की तैयारी शुरू की।


रात को जब अनुष्ठान शुरू हुआ, तांत्रिक ने इमली के पेड़ के चारों ओर मंत्र पढ़ना शुरू किया। धीरे-धीरे हवा तेज़ होने लगी और पेड़ की शाखाएँ हिलने लगीं। अचानक एक सफेद धुंआ उठने लगा और इमली की आत्मा प्रकट हुई। उसने तांत्रिक को घूरते हुए कहा, "मुझे यहां से मुक्त क्यों करना चाहते हो? मुझे न्याय चाहिए।"


तांत्रिक ने आत्मा को शांत करने की कोशिश की और कहा, "तुम्हारी आत्मा को शांति तभी मिलेगी जब तुम माफ कर सकोगी।" इमली की आत्मा ने अपनी आँखों में आँसू लिए हुए कहा, "मैं केवल उन लोगों को माफ कर सकती हूँ जिन्होंने मेरे साथ अन्याय किया था, अगर वे अपनी गलतियों को स्वीकार करें।"




गाँववालों ने यह सुना और उन सभी ने अपनी गलतियों को स्वीकार किया और इमली से माफी मांगी। इमली की आत्मा ने देखा कि गाँववाले अपने कर्मों पर पछता रहे हैं। उसने धीरे-धीरे अपना गुस्सा त्याग दिया और कहा, "अब मुझे शांति मिल गई है।" यह कहते हुए इमली की आत्मा धुंआ में विलीन हो गई और पेड़ फिर से शांत हो गया।


तांत्रिक ने कहा कि अब इमली की आत्मा मुक्त हो गई है और गाँव पर अब कोई संकट नहीं आएगा। गाँववाले राहत की सांस लेकर तांत्रिक का धन्यवाद किया और फिर से अपनी सामान्य जिंदगी में लौट आए। अब वह इमली का पेड़ गाँव के लिए एक चेतावनी और एक सीख बन गया कि अन्याय करना कितना गलत है। लोगों ने उस पेड़ के नीचे एक छोटा सा मंदिर बना दिया ताकि वे इमली की आत्मा के लिए प्रार्थना कर सकें और उसकी याद को हमेशा जीवित रख सकें।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

*डायरी की दास्तान* भूतिया स्टोरी

काले जादू की डरावनी कहानी

*"भूलभुलिया का रहस्य"**