मेरी पत्नी डायन है ।

 यह एक छोटी सी हॉरर स्टोरी है जिसमें एक पति को शक होता है कि उसकी पत्नी डायन है:


रमेश और सीमा की शादी को कुछ ही साल हुए थे। दोनों की जिंदगी बहुत खुशहाल चल रही थी। लेकिन एक दिन, रमेश को कुछ अजीब सा महसूस हुआ। उसने देखा कि सीमा रात को उठकर बाहर जाती है और सुबह होने से पहले ही लौट आती है।






रमेश को शक हुआ और उसने एक रात जाग कर सीमा का पीछा करने का निर्णय लिया। जब सीमा घर से बाहर निकली, तो रमेश चुपके-चुपके उसका पीछा करने लगा। वह जंगल की ओर बढ़ती गई। जंगल के बीचों-बीच एक खुला मैदान था, जहाँ सीमा ने रुक कर एक पेड़ के नीचे बैठकर कुछ मंत्र पढ़ना शुरू कर दिया।




रमेश ने देखा कि सीमा की आँखें लाल हो गईं और उसके हाथों से अजीब सी रोशनी निकलने लगी। वह हैरान रह गया और डर के मारे छुप गया। सीमा ने अचानक अपनी आवाज बदल कर हँसना शुरू कर दिया, उसकी हँसी बहुत डरावनी थी। रमेश समझ गया कि उसकी पत्नी एक डायन है।




रमेश चुपचाप वहाँ से वापस घर लौट आया। अगले दिन, उसने गाँव के पुजारी से मिलकर सारी बात बताई। पुजारी ने कहा कि वह सीमा की असली पहचान उजागर करेगा। रात को पुजारी ने गाँव के कुछ लोगों को साथ लेकर उस जगह पर पहुँचने का निर्णय लिया, जहाँ सीमा जाती थी।




जब सीमा फिर से उसी जगह पहुँची और मंत्र पढ़ना शुरू किया, तो पुजारी और गाँव वाले वहाँ पहुँच गए और मंत्रों से उसकी शक्ति को कमज़ोर करने लगे। सीमा ने पुजारी और गाँव वालों को रोकने की कोशिश की, लेकिन आखिरकार उसकी असली रूप सामने आ गया। वह एक डायन थी जिसने रमेश के साथ धोखा किया था।




गाँव वालों ने मिलकर उसे पकड़ लिया और उसे के लिए कैद कर दिया। 


सीमा को कैद कर लेने के बाद गाँव वालों ने उसे एक पुराने, परित्यक्त मंदिर के तहखाने में बंद कर दिया। उन्होंने उसके चारों ओर शक्तिशाली मंत्रों का घेरा बना दिया ताकि वह वहां से भाग न सके। रमेश को भी कुछ समय तक उस घटना के सदमे से उबरने में समय लगा।






कुछ हफ्ते बीत गए और सब कुछ सामान्य लगने लगा, लेकिन रमेश के मन में हमेशा एक डर बना रहा। उसे ऐसा महसूस होता था कि सीमा की डायन शक्तियाँ इतनी आसानी से समाप्त नहीं होंगी। एक रात, जब रमेश सो रहा था, उसे एक डरावना सपना आया जिसमें सीमा उसे बुला रही थी और कह रही थी, "मैं वापस आऊंगी, तुम्हारे पास।"




अगले दिन, रमेश ने पुजारी से इस सपने के बारे में बताया। पुजारी ने कहा कि यह एक संकेत है कि सीमा की शक्तियाँ अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई हैं। पुजारी ने रमेश को सुझाव दिया कि वह कुछ दिनों के लिए किसी अन्य गाँव में चला जाए ताकि सीमा की शक्ति से बचा जा सके।




रमेश ने पुजारी की सलाह मानी और कुछ दिनों के लिए अपने एक मित्र के गाँव चला गया। लेकिन वहाँ पहुँचने पर भी उसे चैन नहीं मिला। हर रात उसे सीमा की परछाईं दिखाई देती और उसकी आवाज सुनाई देती। रमेश ने सोचा कि वह हमेशा के लिए इस डर से भाग नहीं सकता। उसे एक अंतिम समाधान की जरूरत थी।




वह वापस अपने गाँव लौट आया और पुजारी से मिलकर पूछा कि वह क्या कर सकता है। पुजारी ने उसे बताया कि एक प्राचीन मंत्र है जो डायन की शक्तियों को पूरी तरह से नष्ट कर सकता है, लेकिन उसे करने के लिए बहुत साहस और दृढ़ संकल्प की जरूरत है। रमेश तैयार था।




पुजारी और रमेश ने मिलकर उस प्राचीन मंत्र को तैयार किया और एक रात, जब चंद्रमा पूर्ण था, वे दोनों उस मंदिर के तहखाने में गए। वहाँ पहुँच कर उन्होंने मंत्रों का उच्चारण शुरू किया। सीमा की आत्मा ने बहुत विरोध किया, लेकिन रमेश और पुजारी ने हार नहीं मानी।




आखिरकार, एक तेज़ चमक के साथ सीमा की डायन शक्ति हमेशा के लिए नष्ट हो गई। उसकी आत्मा मुक्त हो गई और वह शांति पा गई। रमेश ने राहत की सांस ली। 




गाँव वालों ने उसे एक नायक के रूप में सम्मानित किया। लेकिन रमेश जानता था कि यह लड़ाई सिर्फ उसकी नहीं थी, बल्कि सभी की थी जिन्होंने मिलकर इस बुराई का सामना किया। अब गाँव में फिर से शांति और खुशहाली लौट आई थी, और रमेश ने यह सीखा कि सच्चा साहस और संकल्प किसी भी अंधकार को मिटा सकता है।








इस तरह, रमेश और गाँव वालों ने मिलकर एक बड़ी मुसीबत का सामना किया और उसे सफलतापूर्वक समाप्त किया।

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