सिर कटा भूत

 एक बार की बात है, एक छोटा सा गाँव था, जो घने जंगल के बीच स्थित था। इस गाँव में लोग अंधविश्वास पर बहुत विश्वास करते थे। गाँव के चारों ओर फैले जंगल के बारे में कहा जाता था कि वहाँ एक सिर कटा भूत भटकता है। गाँव के बड़े-बुजुर्गों ने बच्चों को हमेशा चेतावनी दी थी कि वे सूरज ढलने के बाद जंगल की ओर न जाएं।




गाँव में रामू नाम का एक निडर युवक था। वह इन कहानियों पर यकीन नहीं करता था और हमेशा अपने दोस्तों को चुनौती देता था कि वह कभी भी जंगल में अकेला जा सकता है। एक दिन, रामू ने ठान लिया कि वह इस भूत की सच्चाई का पता लगाएगा। उसने अपने दोस्तों से कहा, "मैं आज रात जंगल जाऊँगा और उस भूत को पकड़ कर लाऊँगा।"


रामू के दोस्तों ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना। रात के अंधेरे में, रामू अकेला जंगल की ओर निकल पड़ा। चारों ओर सन्नाटा था, केवल हवा की सिसकियाँ सुनाई दे रही थीं। जैसे ही रामू जंगल के भीतर पहुँचा, उसे अजीब-अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगीं। अचानक उसे लगा कि कोई उसके पीछे-पीछे चल रहा है। उसने मुड़कर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। 


रामू ने सोचा कि ये उसके दिमाग का खेल हो सकता है, इसलिए वह आगे बढ़ता गया। कुछ देर बाद उसे एक पेड़ के पास कुछ अजीब सी आकृति दिखाई दी। जैसे ही वह पास गया, उसने देखा कि वह आकृति धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ रही है। रामू ने देखा कि वह एक सिर कटा इंसान था, जिसका शरीर खून से लथपथ था और उसकी आंखें लाल-लाल चमक रही थीं।


रामू के शरीर में एक अजीब सी ठंडक दौड़ गई, उसके पैर कांपने लगे। वह पीछे हटने लगा, लेकिन भूत ने अचानक उसकी ओर तेजी से दौड़ लगा दी। रामू चीखते हुए भागा, लेकिन वह रास्ता भूल गया। भूत लगातार उसका पीछा कर रहा था। जैसे ही वह थक कर गिरने ही वाला था, उसने अचानक एक पुराना मंदिर देखा। वह दौड़कर मंदिर के अंदर घुस गया और दरवाजा बंद कर लिया।



रामू हांफते हुए मंदिर के अंदर बैठा था, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह जिन्दा बच गया है। वह रातभर मंदिर में ही छिपा रहा। सुबह होते ही, जैसे ही सूरज की पहली किरणें फूटने लगीं, रामू ने हिम्मत जुटाई और बाहर निकला। उसने देखा कि भूत कहीं नहीं था। वह दौड़ते हुए गाँव वापस आया और सबको अपनी आपबीती सुनाई।


उस दिन के बाद, रामू ने कभी भी भूतों और अंधविश्वासों का मजाक नहीं उड़ाया। गाँव के लोग भी रामू की कहानी सुनकर और भी सतर्क हो गए। कहा जाता है कि वह सिर कटा भूत आज भी उस जंगल में भटकता है, और जो भी उसे चुनौती देने आता है, वह कभी वापस नहीं लौटता।


रामू के गाँव लौटने के बाद कुछ दिनों तक सब कुछ सामान्य रहा। लेकिन रामू के मन में एक अजीब सी बेचैनी थी। वह दिन-रात उस भूत के बारे में सोचता रहता था। उसकी नींद उड़ गई थी, और वह रातों को डरावने सपने देखने लगा। सपनों में वह बार-बार उसी सिर कटे भूत का सामना करता, जो उसे घूरता रहता था और धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ता था।


रामू के दोस्तों और परिवार ने उसके बदले हुए व्यवहार को नोटिस किया और उसे समझाने की कोशिश की कि वह उस घटना को भूल जाए। लेकिन रामू के मन में डर बैठ गया था। उसने ठान लिया था कि वह फिर से जंगल जाएगा और इस बार वह उस भूत का अंत करेगा, ताकि उसका डर हमेशा के लिए खत्म हो जाए।


रामू ने गाँव के एक तांत्रिक से मिलकर उस भूत से निपटने का तरीका पूछा। तांत्रिक ने उसे कुछ खास ताबीज दिए और कहा, "यह ताबीज तुझे उस भूत से बचाएंगे, लेकिन याद रख, तुझे अपनी हिम्मत को बनाए रखना होगा। अगर तू डर गया, तो ये ताबीज भी तेरी रक्षा नहीं कर पाएंगे।"


रामू ने ताबीज पहन लिए और एक रात फिर से जंगल की ओर चल पड़ा। इस बार वह पहले से ज्यादा सतर्क और तैयार था। जब वह उस जगह पहुँचा जहाँ उसने पिछली बार भूत को देखा था, उसने चारों ओर देखा, लेकिन वहाँ कुछ भी नहीं था। 


रामू ने अपने हिम्मत को मजबूत किया और जंगल में और गहराई में गया। कुछ देर बाद उसे फिर से वही खौफनाक आवाजें सुनाई देने लगीं। अचानक, वह सिर कटा भूत फिर से उसके सामने प्रकट हो गया। इस बार रामू ने अपनी हिम्मत को कम नहीं होने दिया। उसने ताबीज को जोर से पकड़ा और भूत की ओर बढ़ते हुए कहा, "तुझे इस जंगल में भटकने की सजा मिली है, लेकिन अब तेरा अंत समय आ गया है।"


भूत ने रामू को घूरा, उसकी आँखों में जलन भरी चमक थी। अचानक, भूत ने जोर से चीख मारी और रामू की ओर झपटा। लेकिन जैसे ही उसने रामू को छूने की कोशिश की, ताबीज की रोशनी तेज हो गई और भूत पीछे हट गया। रामू ने ताबीज को भूत की ओर फेंक दिया, जिससे एक जोरदार चमक उत्पन्न हुई और भूत चीखता हुआ हवा में विलीन हो गया।


उसके बाद जंगल में सब कुछ शांत हो गया। रामू ने एक लंबी सांस ली और गाँव की ओर वापस चल पड़ा। इस बार, उसके चेहरे पर डर नहीं बल्कि संतोष था। वह जानता था कि उसने एक बड़ी लड़ाई जीत ली है। 


गाँव लौटने पर उसने सबको अपनी कहानी सुनाई। इस बार वह एक नायक के रूप में देखा गया, जिसने गाँव को एक बड़े खौफ से मुक्त किया था। उस दिन के बाद, गाँव के लोग बिना किसी डर के जंगल में जाने लगे। 


रामू ने भी अपनी जिंदगी को नए सिरे से शुरू किया और भूतों की कहानियों पर विश्वास करना छोड़ दिया। लेकिन वह ताबीज उसने हमेशा अपने पास रखा, एक याद के रूप में, कि कभी-कभी हिम्मत और विश्वास से सबसे बड़े डर का सामना किया जा सकता है। 


गाँव के लोग कहते हैं कि उस दिन के बाद से उस जंगल में कभी कोई सिर कटा भूत नहीं दिखा। रामू की हिम्मत ने गाँव को एक नई आजादी दी थी, और उस गाँव की यह कहानी आज भी सुनाई जाती है, जब भी कोई व्यक्ति डर का सामना करने से घबराता है।

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