**आत्मा का साया**
**आत्मा का साया**
गांव के किनारे एक पुराना और सुनसान घर था, जिसे कोई भी रात में पास से गुजरने की हिम्मत नहीं करता था। कहते हैं कि वहां एक आत्मा का साया रहता था। उस घर की कहानी कुछ ऐसी थी कि कई साल पहले वहां एक परिवार रहता था, लेकिन एक दिन अचानक वह परिवार गायब हो गया। किसी ने उन्हें फिर कभी नहीं देखा।
रवि नाम का एक युवक, जो इस प्रकार की बातों पर विश्वास नहीं करता था, ने गांव में आकर रहने का फैसला किया। उसे इस घर के बारे में बहुत कुछ सुनने को मिला, लेकिन वह सबको अंधविश्वासी कहता था। एक दिन रवि ने ठान लिया कि वह उस घर में रात बिताकर यह साबित करेगा कि वहां कुछ भी भूत-प्रेत नहीं है।
रात को रवि ने घर में कदम रखा। पहले तो सब कुछ सामान्य था, लेकिन जैसे ही घड़ी ने आधी रात का समय दिखाया, घर के अंदर अजीब सी आवाजें आने लगीं। दरवाजे अपने आप खुलने और बंद होने लगे। दीवारों पर हल्की परछाइयां दौड़ती दिखाई दीं। रवि को लगा कि यह सिर्फ उसका वहम है, लेकिन तभी उसे अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ। उसने पीछे मुड़कर देखा, मगर वहां कोई नहीं था।
डरते हुए, उसने घर से बाहर जाने का फैसला किया। लेकिन जैसे ही वह दरवाजे की ओर बढ़ा, दरवाजा खुद ही बंद हो गया। पूरे घर में सन्नाटा छा गया और अचानक सामने एक धुंधली आकृति प्रकट हो गई। वह एक महिला की आत्मा थी, जिसकी आंखें गुस्से से लाल थीं। उसकी आवाज गूंज रही थी, "तुमने यहां कदम रखकर बहुत बड़ी गलती की है। अब तुम इस घर से जिंदा नहीं जा सकते।"
रवि ने पूरी ताकत से दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा नहीं खुला। वह भयभीत होकर दीवार से लग गया। अचानक उस आत्मा ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया और वह बेहोश होकर गिर पड़ा।
सुबह गांववालों ने उसे घर के बाहर बेहोश पाया। जब उसे होश आया, तो उसने गांववालों को सारी घटना बताई। गांववाले उसे देखकर चौंक गए, क्योंकि उसके चेहरे पर एक गहरी खरोंच थी, जो उस आत्मा के हाथ का निशान था।
उस दिन के बाद, रवि ने कभी उस घर की तरफ नहीं देखा। और गांववालों का मानना पक्का हो गया कि उस घर में वाकई एक आत्मा का साया है, जो किसी को भी वहां ठहरने नहीं देती।
रवि के उस अनुभव के बाद, गांव में हलचल मच गई। हर कोई उस घटना के बारे में बातें करने लगा। कुछ लोग तो इतने डर गए कि उन्होंने गांव छोड़ने का मन बना लिया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह था कि क्या वह आत्मा वापस आएगी?
रवि ने गांववालों को बताया कि उस रात उसे आत्मा ने साफ-साफ कहा था कि "अब तुम इस घर से जिंदा नहीं जा सकते।" वह समझ नहीं पाया कि वह किस तरह से बच निकला। गांव के बुजुर्गों का कहना था कि आत्मा ने उसे छोड़ दिया था, लेकिन वह चेतावनी देकर गई थी कि वह वापस आएगी।
कुछ हफ्ते बीत गए, और गांव में कोई बड़ी घटना नहीं घटी। लोग धीरे-धीरे इस बात को भूलने लगे थे, लेकिन रवि के मन
कुछ हफ्तों बाद रवि ने खुद को शांत करने की कोशिश की, लेकिन उसके मन में उस रात की घटना का डर हमेशा बना रहा। उसे अक्सर रात में अजीब सपने आते थे। सपनों में वही आत्मा उसे देखती थी, उसकी ओर बढ़ती थी, लेकिन हर बार रवि जाग जाता और पसीने में भीगा होता।
एक दिन रवि गांव के मंदिर गया, जहां वह पुजारी से मिला। उसने पुजारी को पूरी घटना बताई और पूछा कि क्या आत्मा सच में वापस आ सकती है। पुजारी ने गंभीर होकर कहा, "उस आत्मा का इस संसार में कुछ अधूरा काम है। जब तक उसे मुक्ति नहीं मिलेगी, वह वापस आएगी और तबाही मचाएगी।"
पुजारी ने सलाह दी कि आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए विशेष पूजा करनी होगी। लेकिन इसके लिए जरूरी था कि पूजा उसी घर में की जाए, जहां वह आत्मा रहती है। रवि ने यह सुनते ही डरते हुए कहा, "मैं उस घर में दोबारा कदम नहीं रख सकता।"
परंतु आत्मा का साया गांव के अन्य लोगों पर भी पड़ने लगा। धीरे-धीरे, अजीब घटनाएँ फिर से शुरू हो गईं। गांववालों ने रात में घरों के दरवाजे खुद-ब-खुद खुलते और बंद होते देखे। पशुओं का अचानक बीमार हो जाना, पेड़ों के अचानक सूखने जैसी घटनाएं होने लगीं। लोगों को लगने लगा कि आत्मा ने पूरे गांव को अपने शिकंजे में ले लिया है।
आखिरकार, गांववालों ने मिलकर तय किया कि रवि को उस आत्मा का सामना करना होगा। पुजारी ने कहा, "यदि तुमने अब हिम्मत नहीं दिखाई, तो आत्मा पूरे गांव को बर्बाद कर देगी। हमें उस घर में जाकर पूजा करनी होगी और आत्मा को शांति प्रदान करनी होगी।"
रवि के पास कोई और विकल्प नहीं था। वह डरते हुए भी तैयार हो गया। रात को पूर्णिमा का समय चुना गया, क्योंकि वह आत्माओं को शांत करने का सबसे उपयुक्त समय माना जाता था। रवि, पुजारी और कुछ गांववाले उस रात उस घर की ओर बढ़े।
जब वे घर के अंदर पहुंचे, तो एक अजीब सी ठंडक महसूस हुई। घर के अंदर वही आवाजें फिर से सुनाई देने लगीं। दीवारों पर परछाइयां चलने लगीं और अचानक आत्मा फिर से प्रकट हुई। उसकी आंखों में वही गुस्सा था, लेकिन इस बार पुजारी ने तुरंत मंत्रोच्चार शुरू कर दिया।
आत्मा ने गुस्से में चीखना शुरू कर दिया, जैसे वह उस पूजा को रोकना चाहती हो। पूरे घर में हवा का तूफान सा चलने लगा। लेकिन पुजारी ने अपना मंत्रोच्चार जारी रखा। आत्मा धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगी, और अंततः उसने एक आखिरी चीख मारी और गायब हो गई। घर में फिर से शांति छा गई।
पुजारी ने बताया कि आत्मा को मुक्ति मिल गई है। वह अब कभी वापस नहीं आएगी। गांव में फिर से शांति लौट आई, लेकिन रवि और गांववाले कभी उस भयानक रात को भूल नहीं पाए।
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