**कमरा नंबर 50** हॉरर स्टोरी
**कमरा नंबर 50**
राहुल और उसकी पत्नी अंजली अपनी शादी की सालगिरह मनाने के लिए एक पुराने हिल स्टेशन के मशहूर होटल में पहुंचे थे। होटल की खूबसूरती और ठंडी हवा उन्हें बहुत पसंद आई। होटल का नाम था **होटल सनसेट**, जो अपनी शानदार सेवा के लिए जाना जाता था। हालांकि, इस होटल के बारे में एक अजीब सी अफवाह भी थी, कि होटल का कमरा नंबर 50 शापित है।
जब राहुल और अंजली चेक-इन करने गए, तो उन्हें रिसेप्शन पर बताया गया कि उनका कमरा **नंबर 50** है। जैसे ही उन्होंने कमरे का नाम सुना, रिसेप्शनिस्ट का चेहरा उतर गया। उसने राहुल से धीरे से कहा, "सर, अगर आप चाहें तो हम आपको दूसरा कमरा दे सकते हैं।"
राहुल ने हंसते हुए पूछा, "क्यों? क्या इस कमरे में कोई भूत रहता है?"
रिसेप्शनिस्ट ने अजीब सी मुस्कान के साथ कहा, "कुछ लोग कहते हैं कि इस कमरे में कुछ अजीब होता है, लेकिन यह सिर्फ अफवाह है। आप चाहें तो यह कमरा ले सकते हैं।"
राहुल को ऐसी बातों पर यकीन नहीं था, इसलिए उसने वही कमरा लिया। अंजली भी थोड़ी घबराई हुई थी, लेकिन राहुल ने उसे समझाया कि ये सब बस कहानियाँ हैं।
कमरा नंबर 50 पहली नज़र में सामान्य ही दिख रहा था। बड़ी खिड़कियाँ, खूबसूरत सजावट, और बालकनी से दिखाई देने वाला पहाड़ों का दृश्य बहुत आकर्षक था। उन्होंने अपने बैग रखे और आराम करने लगे। रात होते-होते मौसम में अजीब सा बदलाव आने लगा। हवाएँ तेज़ चलने लगीं, और अचानक कमरे की लाइट्स झपकने लगीं।
रात के करीब 12 बजे, अंजली को लगा कि कमरे में कोई और भी है। उसे ऐसा महसूस हुआ कि कोई उनके बिस्तर के पास खड़ा है और उन्हें घूर रहा है। उसने राहुल को जगाया, लेकिन राहुल ने मजाक में बात को टाल दिया।
तभी, कमरे की खिड़की अचानक से जोर से खुल गई। तेज़ हवाएं कमरे में घुस आईं, और पर्दे जोर से फड़फड़ाने लगे। अंजली डर के मारे चिल्लाई, "राहुल, कुछ तो गलत है यहाँ!"
राहुल अब भी यही मान रहा था कि ये सब उनका भ्रम है। उसने खिड़की बंद की और वापस बिस्तर पर आ गया। तभी अचानक कमरे में एक ठंडक सी फैल गई। ऐसा लगा जैसे कोई अदृश्य शक्ति उनके आस-पास घूम रही हो। तभी दीवार पर एक छाया उभर आई, जो धीरे-धीरे बढ़ने लगी।
राहुल ने अब भी हिम्मत रखते हुए लाइट चालू करने की कोशिश की, लेकिन लाइट जल नहीं रही थी। तभी उन्हें एक धीमी सी फुसफुसाहट सुनाई दी, जैसे कोई उनके कानों में कह रहा हो, "यहाँ से चले जाओ... यह जगह तुम्हारे लिए नहीं है..."
अंजली का डर अब बेकाबू हो चुका था। उसने राहुल से कहा कि उन्हें तुरंत होटल छोड़ देना चाहिए। राहुल अब भी समझने की कोशिश कर रहा था कि यह सब क्या हो रहा है। तभी दरवाजे के पास अचानक से खून के धब्बे उभरने लगे। राहुल और अंजली अब सहम चुके थे। उन्होंने तुरंत अपना सामान उठाया और दरवाजे की तरफ भागे।
जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला, सामने खड़ी थी एक पुरानी सी महिला, जिसकी आँखें बिलकुल सफेद थीं। उसने हंसते हुए कहा, "यह कमरा कभी खाली नहीं होता... तुम कभी यहाँ से बाहर नहीं जा पाओगे।"
राहुल और अंजली चीखते हुए वापस मुड़े और कमरे के अंदर ही बंद हो गए। दरवाजा अब खुद-ब-खुद बंद हो चुका था। उनकी चीखें धीरे-धीरे कमरे की दीवारों में गूंजने लगीं। अगली सुबह, होटल के स्टाफ ने देखा कि कमरा नंबर 50 फिर से खाली था, लेकिन राहुल और अंजली का कोई अता-पता नहीं था।
कहा जाता है कि जो भी उस कमरे में जाता है, वह फिर कभी वापस नहीं आता। होटल में अब भी कमरा नंबर 50 है, लेकिन वह हमेशा बंद रहता है। वहाँ से आने वाली फुसफुसाहटें अब भी रात में सुनाई देती हैं—"यह कमरा तुम्हारे लिए नहीं
है..."
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**समाप्त**
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