### **भूतिया हवेली की खौफनाक कहानी**
### **भूतिया हवेली की खौफनाक कहानी**
गांव के बाहर एक पुरानी हवेली थी, जिसे लोग "कालापानी हवेली" कहते थे। इस हवेली को लेकर कई डरावनी कहानियां प्रचलित थीं। कहते थे कि वहां रात के वक्त किसी की परछाईं दिखती है, दरवाजे अपने आप खुलते-बंद होते हैं, और रहस्यमय आवाजें आती हैं।
#### **आरंभ**
रवि और उसके चार दोस्त, जो शहर से गांव घूमने आए थे, इन कहानियों को झूठ मानते थे। उन्हें लगा कि ये सब सिर्फ लोगों को डराने के लिए बनाई गई बातें हैं। एक रात, नशे में धुत्त रवि ने दोस्तों को चैलेंज दिया, "आओ, आज रात हवेली में चलें और खुद सच जानें!"
सभी दोस्तों ने सहमति जताई। आधी रात को, चांदनी रात में, वे एक टॉर्च और कैमरे लेकर हवेली की ओर निकल पड़े।
#### **हवेली का डरावना माहौल**
हवेली के पास पहुंचते ही ठंडी हवा ने उन्हें झकझोर दिया। चारों तरफ सन्नाटा था, और दरवाजा खटखटाने पर एक गूंज हवेली के अंदर गूंज उठी। जैसे ही वे अंदर गए, पुरानी दीवारों पर दरारें, छत से लटकते मकड़ी के जाले और टूटी खिड़कियां दिखाई दीं।
वे जैसे-जैसे अंदर बढ़े, अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देने लगीं—किसी के रोने की धीमी आवाज, खिड़कियों पर अचानक से जोर की थपकी। लेकिन उन्होंने इसे हवा और पुरानी इमारत का असर मानकर अनदेखा कर दिया।
#### **रहस्यमय घटनाएं**
हवेली के मुख्य हॉल में एक पुरानी कुर्सी रखी थी। जैसे ही रवि ने उस कुर्सी को छुआ, एक जोरदार झटका लगा और कुर्सी अपने आप हिलने लगी। डर के मारे सबके चेहरे सफेद पड़ गए। तभी एक खिड़की अपने आप बंद हो गई और एक अजीब सी गूंज हवेली में भर गई, "तुम्हें यहां नहीं आना चाहिए था!"
#### **भागने की कोशिश**
डर के मारे सभी भागने लगे। लेकिन हवेली का मुख्य दरवाजा अपने आप बंद हो चुका था। अब चारों फंसे हुए थे। तभी एक परछाईं दीवार पर दिखाई दी। परछाईं धीरे-धीरे उनके पास आने लगी। उस परछाईं का चेहरा देखकर सभी की चीखें निकल गईं। यह एक महिला थी, जिसकी आंखें जल रही थीं और बाल बिखरे हुए थे।
#### **रहस्य का खुलासा**
वह महिला बोलने लगी, "यह हवेली मेरी थी, लेकिन मुझे यहां धोखे से मारा गया। अब हर रात मैं अपनी सच्चाई बताने के लिए यहां आती हूं।"
रवि ने कांपती आवाज़ में पूछा, "हमें जाने दो। हम फिर कभी यहां नहीं आएंगे।"
महिला की परछाईं गायब हो गई, और हवेली का दरवाजा अपने आप खुल गया।
#### **अंत**
डर के मारे रवि और उसके दोस्तों ने गांव छोड़ दिया। वे अब भी उस रात की घटना को याद कर सिहर उठते हैं। लेकिन कोई नहीं जानता कि वह महिला कौन थी और हवेली के पीछे का असली राज़ क्या था।
**कहते हैं, जो कोई भी कालापानी हवेली जाता है, वह कभी वैसा नहीं रहता जैसा वह पहले था।**
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